भ्रष्टाचार के जाल में फंसा सीएमएचओ कार्यालय, कलेक्टर ने फिर से टेंडर करने के दिए निर्देश,घोटालेबाज़ों में हड़कंप

*भ्रष्टाचार के जाल में फंसा सीएमएचओ कार्यालय, कलेक्टर ने फिर से टेंडर करने के  दिए निर्देश,घोटालेबाज़ों में हड़कंप*
*सीएमएचओ आरपी गुप्ता के मंसूबों पर फिर पानी अब नहीं कर पाएंगे भर्ती में भ्रष्टाचार*

छतरपुर। जिला चिकित्सालय और सीएमएचओ कार्यालय में चल रहे आउटसोर्स खेल का खुलासा होते ही पूरे जिले में हड़कंप मच गया है। पहले से ही विवादों में घिरे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.पी. गुप्ता अब सीधे निशाने पर आ गए हैं। कलेक्टर पार्थ जायसवाल द्वारा पुराने टेंडर पर रोक और नई प्रक्रिया शुरू करने के आदेश के बाद कई परतें खुलने लगी हैं।जो जिले में पिछले कई महीनों से चल रहे आउटसोर्स संलग्नीकरण घोटाले की तरफ साफ संकेत देती हैं

*कलेक्टर ने टेंडर फाइल वापस लौटाई,फिर भी सीएमएचओ की संदिग्ध सक्रियता*

सूत्रों के अनुसार सीएमएचओ आर.पी. गुप्ता ने आउटसोर्स भर्ती के लिए एक फाइल ऑनलाइन माध्यम से कलेक्टर के पास भेजी थी, जिस पर कलेक्टर ने टेंडर प्रक्रिया नए सिरे से करने के स्पष्ट निर्देश जारी किए।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसके बावजूद सीएमएचओ आर.पी. गुप्ता स्वयं एक फाइल लेकर कलेक्टर के पास पहुँच गए और आग्रह किया कि पुराना टेंडर 30 नवंबर को समाप्त हो रहा है, इसे एक महीने और बढ़ा दिया जाए।
सूत्र बताते हैं कि यह आग्रह इसलिए किया गया क्योंकि पुराने टेंडर को जारी रखकर भर्ती के नाम पर बड़े स्तर पर वसूली की गई थी और इसे आगे बढ़ाने पर ही उनका खेल जारी रह सकता था। लेकिन कलेक्टर पार्थ जायसवाल और जिला पंचायत सीईओ नमः शिवाय अर्जरिया ने फिर से नया टेंडर करने के आदेश जारी कर अधिकारियों के इरादों पर पानी फेर दिया।

*बेरोजगार युवाओं से वसूली,सीएमएचओ कार्यालय के कुछ बाबू बने फिक्सर*

विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि सीएमएचओ कार्यालय के कुछ बाबुओं ने कलेक्टर और सीईओ के नाम पर आउटसोर्स भर्ती में बेरोजगार युवाओं से मोटे पैसे लिए थे। इसी कारण वे पुराने टेंडर को किसी भी हाल में आगे बढ़ाना चाहते थे। कहा जा रहा है कि—सेडमैप (CEDMAP) की आड़ में जिले के कुछ भ्रष्ट कर्मचारी करोड़ों का खेल करने की फिराक में थे। नया टेंडर होने से यह खेल रुक गया, जिसके बाद अब यह पूरा गिरोह प्रशासनिक अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश में जुट गया है।

*10 पत्रों की सूची उजागर, आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन पर गंभीर सवाल*

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय छतरपुर के द्वारा दिनांक 22.10.2025 के पत्र क्रमांक 23319 में स्वीकार किया गया है कि देयकों का भुगतान हो चुका है, फिर भी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। विभाग द्वारा उद्यमिता विकास केंद्र (CEDMAP) भोपाल को 10 बार पत्र लिखने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी रही।पत्रों की सूची इस प्रकार है—
1. पत्र क्रमांक 11396 — 07.08.2025
2. पत्र क्रमांक 16111 — 19.08.2025
3. पत्र क्रमांक 9538 — 22.07.2025
4. पत्र क्रमांक 9218 — 16.07.2025
5. पत्र क्रमांक 1194–1201 — 01.07.2025
6. पत्र क्रमांक 17002 — 28.08.2025
7. पत्र क्रमांक 17907 — 03.09.2025
8. पत्र क्रमांक 19193 — 16.09.2025
9. पत्र क्रमांक 20613 — 29.09.2025
10. पत्र क्रमांक 23319 — 22.10.2025
इन सभी पत्रों में एक ही बात सामने आई कंपनी को भुगतान हो गया, लेकिन वेतन नहीं मिला।

*वेतन न मिलने का बड़ा मामला,कंपनी और सीएमएचओ की मिलीभगत उजागर*

आउटसोर्स कर्मचारियों का वेतन न मिलने का मुद्दा पहले से चर्चाओं में था। कई बार कलेक्टर जनसुनवाई में मामले उठाए गए लेकिन कर्मचारियों को डराने–धमकाने की शिकायतें भी सामने आईं। जबकि सीएमएचओ कार्यालय कंपनी को लगभग 2 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है, इसके बावजूद वेतन महीनों से बकाया है। यह सीधे-सीधे कंपनी और सीएमएचओ कार्यालय की मिलीभगत का मामला बनता है। इतना ही नहीं जब एडीएम के निर्देश पर शिकायतकर्ता कम है तो कार्यालय पहुंचे तो उन्हें कम से निकलने की धमकी भी दी गई थी।

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